Login Popup Login SUBSCRIBE

ADVERTISEMENTs

संपूर्ण मानव स्वभाव शालीनता का दृढ़तापूर्वक विरोध करता है क्योंकि यह हमें बदल देती है और यह परिवर्तन दर्दनाक होता है

ऐसा कहती हैं, लेखिका, “फ्लैनरी ओ’कॉनर”  

मैं घूमने निकली थी, “सवाना” यह जॉर्जिया राज्य का एक बड़ा पुराना और सुंदर शहर है। और संयोग से ओ’कॉनर यहीं की रहने वाली थीं। मैंने इनकी सिर्फ़ एक ही कहानी पढ़ी है, “ए गुड मैन इज हार्ड तो फाइंड”। ऐसे में हर बार की तरह मैंने तय किया कि इनका घर भी देखा जाए। घर क्या बेहतरीन लोकेशन पर है। सामने सुंदर पार्क, चारो तरफ पुरानी आर्किटेचकर के सुंदर घर, घर से दिखता चर्च और कोने में एक प्यारी सी बुकस्टोर। हालांकि अगर ठीक से वर्णन करूं तो पूरी पोस्ट कम पड़ जाए इस जगह के नाम। 

इनके घर को अब एक म्यूज़ियम बना दिया गया है। 15 डॉलर एंट्री फी है। म्यूज़ियम बंद होने के ठीक आधे घंटे पहले मैं वहां पहुंच पाई। एक तो मेरी हड़बड़ी दूसरी मेरी काया देख कर रिसेप्शन पर बैठी बुज़ुर्ग महिला मुझे स्टूडेंट समझ कर फ्री में आने को कहती हैं। मैं कहती हूं, मैं कोई स्टूडेंट नहीं। वह मुस्कुराती है और कहती है- “सभी इस दुनिया में स्टूडेंट हैं, प्रिय।” कोई बात नहीं, तुम भीतर जा सकती हो। मैं बहुत जल्दी से इस भवन को देखती हूं। फ्लैनरी के कुछ समान के साथ कुछ किताबें और उसकी मेज रखी थी। समय म्यूज़ियम के बंद होने का हो गया था। बाहर निकलती हूं तो हल्की बारिश शुरू हो गई थी।  

झींसी-फूसी के बीच में ही मैं निकल पड़ती हूं सामने के पार्क की तरफ़। अजब है यहां की घटा। छन में बरसती है छन में धूप, छन में काली घटा। बारिश बीच में ही बंद। मुझे कोने पर एक सुंदर बुकस्टोर दिखता है। अब मैं पार्क में ना जा कर स्टोर में घुस जाती हूं। 

बुक स्टोर का नाम है, “ई शॉवर” है तो ख़ूबसूरत पर इसके भीतर घूमती सफ़ेद बिल्ली अचानक से मेरे सामने आ गई। डर कर मैं चीख पड़ी। कुछ निगाहें मेरी तरफ़ मुड़ी, मुस्कुराई और किताबों में खो गई। दुकान की मालकीन मेरे पास आयी, हाल-चाल लिया। बिल्ली को फ्रैंडली बताया पर मैं उसे क्या बताती कि बिल्लियां मुझे दूर से हीं ठीक लगती हैं। मालकीन ने मुझे स्टोर के सेक्शन के बारे में बताया। मैं घूमते हुए पिछले भाग में गई तो एक और भूरी बिल्ली वहां सोफ़े पर विराजमान मिल गई। मैं पलटने ही वाली थी कि एक किताब पर नज़र गई। यह सेक्शन सेकेंडहैंड बुक्स का था और किताब थी, “यूडोरा वेल्टी”  इनकी एक-दो शॉर्ट स्टोरी थी। अब यह संग्रह मिल गया तो ले लिया। 

किताब ले कर बाहर निकलती हूं, फिर बूंदा-बांदी। किताब का बैग  सिर पर रखा और भाग कर पार्क तक पहुंची। पार्क पेड़ों से ऐसा ढका है जैसे यहां बारिश ही नहीं हुई। पार्क के ठीक सामने यहां का प्रसिद्ध चर्च, St Jhon है। उसकी गुम्बज़ मानो काले बादलों से मार कर रही हो। तुम छाए रहो मेरी छत पर , चमकते रहो पर बरसने नहीं दूंगा। हवा भी जोश में गुर्रा रही थी। दोनों की लड़ाई में मेरे बेचारे बाल और मेरे प्यारे लाल घबरा रहे थे। ऐसे में हम झट से चर्च के अंदर दाख़िल होते हैं। चर्च की संरंचना बहुत ही ख़ूबसूरत है। मोहित करते हैं भीतर लगे सफ़ेद, नीले और हल्के पीले रंग, चमकती लाइटें, क़तार में सजी मुम्बत्तियां और सामने सूली पर टंगे यीशु! 

Comments

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video

 

Related