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वैज्ञानिक से चाइल्डकेयर फ्रैंचाइज़ी मालिक बने निश पटेल ने बताए सेवा के साथ सफलता के मंत्र

निश पटेल ने बताया कि लाइटब्रिज अकैडमी का आइडिया तब आया था, जब मैं और मेरी पत्नी अपनी दो बेटियों के लिए चाइल्डकेयर के विकल्प तलाश रहे थे। समुदाय में जो सर्विस उपलब्ध थीं, हम उनसे संतुष्ट नहीं थे।

निश पटेल कहते हैं कि भारतीय संस्कृति शिक्षा, निरंतर सीखने और निस्वार्थ सेवा पर जोर देती है। यही सब मैंने अपनी फ्रेंचाइजी में शामिल किया है। / Courtesy Photo

उद्यमशीलता के रूप काफी अलग अलग होते हैं लेकिन एक साइंटिस्ट को फ्रेंचाइजी बनते देखना दुर्लभ है। निश पटेल एक समय वैज्ञानिक थे, लेकिन 2016 में उन्होंने लाइटब्रिज अकैडमी के जरिए फ्रैंचाइज़ी मालिक बनने का सफर शुरू किया। इसकी प्रेरणा उन्हें अपनी बेटी के लिए अच्छी चाइल्डकेयर सर्विस की तलाश के दौरान मिली थी। 

उन्होंने गौर किया कि ऐसी सर्विस की कमी है जो बच्चों की देखभाल के साथ साथ उन्हें पढ़ाई के अवसर भी प्रदान करे। बस इसी मिशन के साथ उन्होंने फ्रैंचाइज़ी शुरू कर दी। लाइटब्रिज अकैडमी छोटे बच्चों को शिक्षा के साथ चाइल्डकेयर सर्विस भी प्रदान करती है। इसके अलावा उच्च मानकों के साथ पारिवारिक भागीदारी और सामुदायिक माहौल पर भी फोकस करती है।

अकैडमी की नई ब्रांच पेंसिलवेनिया के डॉयलेस्टाउन में खुलने जा रही है। भविष्य में नॉर्थ कैरोलिना के शार्लोट के साथ 30-35 अन्य जगहों पर भी लॉन्चिंग का इरादा है। न्यू इंडिया अब्रॉड के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में निश पटेल ने अपने इस सफर के बारे में विस्तार से बातें कीं।

निश पटेल कहते हैं कि एक वैज्ञानिक से फ्रैंचाइज़ी का मालिक बनने का सफर एक महत्वपूर्ण बदलाव की तरह लग सकता है लेकिन दोनों भूमिकाओं के लिए जरूरी हुनर में काफी कुछ एक जैसा है। फ्रैंचाइज़ी की दुनिया में अप्रत्याशित बढ़त हासिल करने के लिए अपनी एनालिटिकल सोच, विस्तार पर फोकस और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट की अपनी बैकग्राउंड को श्रेय देते हैं।

उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत तब हुई थी, जब मैं और मेरी पत्नी अपनी दो बेटियों के लिए चाइल्डकेयर के विकल्प तलाश रहे थे। समुदाय में जो सर्विस उपलब्ध थीं, हम उनसे संतुष्ट नहीं थे। तभी हमने सोचा कि क्या हो अगर हम अपना चाइल्डकेयर सेंटर खोल लें? क्या हो अगर हम एक ऐसी जगह बना सकें जहां हमारे बच्चों के साथ अन्य परिवारों को भी मूल्य आधारित सेवाएं मिल सकें। यही वह मौका था, जिसने बिजनेस का बीज हमारे दिमाग में बोया और आज इसका फल सबके सामने है।

निश पटेल कहते हैं कि कई मायनों में उनकी नेतृत्व शैली को उनकी भारतीय विरासत ने आकार दिया है। भारतीय संस्कृति शिक्षा, निरंतर सीखने और निस्वार्थ सेवा पर जोर देती है। यही सब कुछ मैंने अपनी फ्रेंचाइजी में एम्बेड किया है। एक भारतीय-अमेरिकी परिवार का सदस्य होने के नाते हमारे लिए परिवार और समुदाय ही सब कुछ होता है। मैं अपने बिजनेस में भी वफादारी, विश्वास और सपोर्ट की वही भावना रखता हूं। 

पटेल स्वीकार करते हैं कि स्थानीय बाजार की जरूरतों के हिसाब से मानकों को संतुलित करना सबसे मुश्किल पहलुओं में से एक था। मुझे यही चीज सीखनी थी। वित्तीय प्रबंधन और कर्मचारियों की भर्ती जैसी चुनौतियों के बावजूद मैंने आशावादी नजरिया बनाए रखा। हर बाधा से सीखा। वैज्ञानिक पृष्ठभूमि से होने की वजह से मैंने परीक्षण और त्रुटियों को एक एक करते दूर किया। 

पटेल अब अकैडमी के विस्तार की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहे हैं। इसके तहत अगले छह वर्षों में शार्लोट में पांच सेंटर खोले जाएंगे। हालांकि पटेल सिर्फ विस्तार के बारे में नहीं सोच रहे हैं, दीर्घकालिक स्थिरता उनके दिमाग में है। उनका कहना है कि हम तेजी से विस्तार के बजाय धीरे धीरे एक्सपेंशन पर फोकस कर रहे हैं। हम परफॉर्मेंस और प्रतिक्रिया के आधार पर काम करते हैं। क्वालिटी से समझौता नहीं करते। 

फ्रैंचाइज़ जगत में अपनी लगभग एक दशक लंबी यात्रा के दौरान पटेल की सोच भी बदली है। वह कहते हैं कि शुरुआत में यह सब प्रॉफिट लॉस के बारे में था। लेकिन अब मेरे लिए कामयाबी का मतलब एक मजबूत कम्युनिटी तैयार करना, कर्मचारियों को संतुष्ट रखना और एक ऐसा ब्रांड बनाना है जो पारिवारिक जरूरतों से मेल खाता हो।

नए फ्रैंचाइज़ ओनर्स को सलाह देते हुए पटेल ने कहा कि सबसे पहले तो अच्छी तरह रिसर्च करें। फ्रैंचाइज़ मॉडल को समझें और सुनिश्चित करें कि यह आपके मूल्यों के साथ मेल खाए। रिश्ते और नेटवर्क बनाएं। ट्रेनिंग पर ध्यान दें। यही कामयाबी की कुंजी है। इसके अलावा हमेशा समय के साथ बदलने को तैयार रहें। मार्केट लगातार बदलता रहता है और आपको भी ऐसा ही करना होगा। 
 

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