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स्वाद के शौकीन लोगों के लिए सिलिकॉन वैली में एक छिपा हुआ खजाना है 'पुरनपोली'

भारतीय खानपान अपनी बटर चिकन और दाल तड़के की सीमा से बाहर निकल गया है। 'पुरनपोली' रेस्टोरेंट में खाने के उन शौकीनों को एक नया स्वाद मिल रहा है, जो पहले कभी महाराष्ट्रीयन खाना नहीं खाए हैं। ये रेस्टोरेंट कई लोगों के लिए खुशियों का ठिकाना हैं।

पुरनपोली के मालिक रोशन और शीतल शिवलकर भाई-बहन हैं। / NIA

सिलिकॉन वैली में एक छिपा हुआ खजाना है 'पुरनपोली'। यह एक पूरी तरह से शाकाहारी रेस्टोरेंट है जो असली महाराष्ट्रीयन खाना परोसता है। कैलिफोर्निया के सांता क्लारा में स्कॉट बुलेवार्ड पर ऑफिस बिल्डिंग्स के बीच छिपा हुआ ये रेस्टोरेंट कई लोगों के लिए खुशियों का ठिकाना है। पार्किंग लॉट में गेंदे के फूलों से सजे हुए एक पीले बोर्ड पर लिखे शब्द 'पुरनपोली' आपको एक खुशियों के तूफान में ले जाते हैं, जो खानेवालों के मुंह में मचने लगता है।

भारतीय खानपान अपनी बटर चिकन और दाल तड़के की सीमा से बाहर निकल गया है। खाने के उन शौकीनों को एक नया स्वाद मिल रहा है, जो पहले कभी महाराष्ट्रीयन खाना नहीं खाए थे। अनीता गेरा पहली बार मिसल पाव का स्वाद ले रही थीं। वो स्वाद से खुश थीं। शनिवार की सुबह अपने लोस अल्टोस हिल के घर से निकलकर वो शहर के दूसरे हिस्से तक पहुंची थीं।

अनिल गेरा ने सोचा कि लोस अल्टोस डाउनटाउन में आरामदायक वीकेंड की सुबह के लिए कई ब्रंच विकल्प हैं, फिर सांता क्लारा तक क्यों जाना है। लेकिन जब खाना टेबल पर आया, तो हैरान हो गए कि वह पहली बार भारतीय खाना खा रहे हैं। अनिल कहते हैं कि 'हमें याद है कि उत्तर भारत में पले-बढ़ते हुए हमने केवल पंजाबी खाना ही खाया था। हमें पता ही नहीं था कि भारत में कितने तरह के खाने हैं।'

वेंक शुक्ला को दिल्ली के कनॉट प्लेस में मद्रास कैफ़े की याद आ रही थी, जो उनका एकमात्र ऐसा अनुभव था जो काका दा ढाबा और मोती महलों से अलग था, जो दिल्ली में हर जगह थे। ज्यादातर लोगों के लिए पंजाबी खाना ही भारतीय खाना था। 1947 में देश के विभाजन के समय गैर मुस्लिम पंजाबी पश्चिम पंजाब से चले आए थे। लाहोरी अपने नए घर नए स्वतंत्र भारत की राजधानी में और कई मामलों में दुनिया में भी अपने स्वाद लेकर आए थे। लाहोरी प्रवासियों का खाना ही भारतीय खाने के रूप में परिभाषित हुआ। बटर चिकन, साग और कसूरी मेथी से लदी दाल मखनी का स्वाद दुनिया पर छोड़ा गया। चकित दुनिया ने अपने रेस्टोरेंट के मेन्यू में फिश एंड चिप्स को हटाकर चिकन टिक्का मसाला को जगह दे दी।

अब भारत के क्षेत्रीय व्यंजन सामने आ रहे हैं। इसकी वजह ये है कि बड़ी संख्या में भारतीय विदेशों में जा रहे हैं। उनके दिल में उनकी मां के हाथ के खाने का स्वाद बना हुआ है। पुरनपोली के मालिक रोशन और शीतल शिवलकर भाई-बहन हैं। दोनों रत्नागिरी और मुंबई में पले-बढ़े हैं। वे उन 10,000 से ज्यादा मराठी परिवारों में से हैं जो बे एरिया में रहते हैं। अस्सी प्रतिशत परिवार महाराष्ट्र राज्य के पश्चिमी क्षेत्र मुंबई, कोल्हापुर और पुणे जैस इलाकों से हैं। प्रकाश भालेराव बे एरिया में जुलाई 2024 में हुए महाराष्ट्र मंडल बे एरिया (MMBA) सम्मेलन के संयोजक थे। उस कार्यक्रम में 5,000 से ज्यादा लोग शामिल हुए थे।

सबुदाना खिचड़ी, सबुदाना वड़ा, भरली वांगी, मिसल जैसे खाने खानेवालों को पसंद आते हैं, क्योंकि इनमें मसालों का संतुलन अच्छा होता है। सोनजा जेतर का कहना है कि 'यहां का खाना बहुत ही शानदार है। इसमें मसाले बहुत अच्छे लगे हैं, लेकिन इतने ज्यादा नहीं कि आप खाने का स्वाद न ले पाएं। मैं भारतीय खाने में नया हूं। मैं आपको बता नहीं सकता कि मैंने क्या खाया। बस इतना कह सकता हूं कि मेरे स्वाद के लिए यह बहुत अच्छा था।' दुर्गेश ने कहा कि पाव भाजी, वड़ा पाव, सबुदाना वड़ा, और कोथंबीर वाडी खास तौर पर पसंद आए।

सुलू कर्णिक ने कहा, मुझे ये मोदक बहुत पसंद आया । मैंने इससे बेहतर मोदक कभी नहीं खाया। शाकाहारी लोगों के लिए यह स्वादिष्ट भोजन पाने का एक शानदार विकल्प है। रितु ने कहा कि हमने काउंटर पर अपना खाना ऑर्डर किया था, लेकिन खाने के बीच में हमें अतिरिक्त पाव और मिठाई चाहिए थी। मैं इस बात की सराहना करती हूं कि हम खाने के दौरान अपने ऑर्डर में बदलाव कर सकते हैं। इस जगह का माहौल एक मंदिर जैसा है। भजन संगीत और हवा में बहती हुई अगरबत्ती की खुशबू शांति का अनुभव कराती है और मन को प्रसन्न करती है। दुर्गेश ने कहा कि पुरनपोली में पर्याप्त पार्किंग और नकद भुगतान पर 10% की छूट मिलती है।

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