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'टू किल ए टाइगर' फिल्म को मिला यह सम्मान, निशा पाहूजा ने कहा, रोमांचित हूं

निशा पाहूजा की 'टू किल ए टाइगर' 2024 अकादमी पुरस्कारों में बेस्‍ट डॉक्‍यूमेंट्री फीचर कैटेगरी में नॉमिनेट हुई है। यह फिल्म आधुनिक भारतीय समाज की उस जहरीली सोच को बयां करती है, जिसमें कुंठ‍ित मर्दानगी और बलात्कार के कारण हमारी संस्कृति हर दिन तार-तार होती है।

साल 2022 में इस डॉक्‍यूमेंट्री का प्रीमियर टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुआ था। / @TFCA

ऑस्‍कर अवॉर्ड 2024 के नॉमिनेशन की घोषणा हो चुकी है। भारतीय-कनाडाई फिल्म निर्माता निशा पाहूजा की 'टू किल ए टाइगर' 2024 अकादमी पुरस्कारों में बेस्‍ट डॉक्‍यूमेंट्री फीचर कैटेगरी में नॉमिनेट हुई है। साल 2022 में इस डॉक्‍यूमेंट्री का प्रीमियर टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुआ था। वैश्‍व‍िक मंच पर इस डॉक्‍यूमेंट्री को पहचान मिलना फिल्‍मेकर्स के लिए एक प्रेरणा है। यह जिस घटना पर आधारित है, वह भारत की एक सच्चाई बयान करती है। इस डॉक्‍यूमेंट्री के प्रोड्यूसर कॉर्नेलिया प्रिंसिपे और डेविड ओपेनहेम हैं।

निशा पाहूजा ने एक बयान में कहा, 'मैं रोमांचित हूं कि 'टू किल ए टाइगर' को अकादमी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है।' उन्होंने कहा कि इस आठ साल की यात्रा के पीछे रचनात्मक टीम के लिए यह एक असाधारण सम्मान है, और यह सामान्य इकोसिस्टम के बाहर काम करने वाली महिलाओं के अथक समूह के लिए एक सम्मान है कि इस कहानी को देखा जाए और दुनिया में इसकी जरूरत है।

निशा ने कहा कि यह देखते हुए कि फिल्म और इसकी प्रशंसा इसलिए है क्योंकि 'भारत में एक किसान, उसकी पत्नी और उनकी 13 साल की बेटी में अपने मानवाधिकारों की मांग करने का साहस था।' उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह अन्य पीड़ितों को न्याय पाने के लिए प्रोत्साहित करेगा और वे महिलाओं के अधिकारों के लिए हमारी लड़ाई में हमारे साथ खड़े होंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस फिल्म को मिला यह सम्मान पुरुष सत्तात्मक समाज को परिवर्तन के लिए सोचने पर विवश करेगा।

निशा पाहूजा द्वारा लिखित और निर्देशित यह फिल्म झारखंड के एक किसान रंजीत की कहानी है, जो अपनी 13 साल की बेटी के लिए न्याय की मांग की खातिर लड़ाई लड़ता है। उनकी बेटी का पहले अपहरण किया गया और फिर तीन लोगों ने उस मासूम के साथ दुनिया का सबसे जघन्‍य अपराध किया। उसकी अस्‍म‍िता के साथ ख‍िलवाड़ किया। एक साधारण व्यक्ति असाधारण परिस्थितियों में धकेल दिया जाता है।

गैंगरेप के आरोपियों को सजा दिलाने से कहीं अध‍िक यह लड़ाई बेटी का साथ देने की है। रंजीत की शिकायत पर पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लेती है। उधर, गांववाले और उनके नेता इस परिवार पर आरोप वापस लेने के लिए दबाव बनाते हैं। ऐसे में निशा पाहुजा की 'टू किल ए टाइगर' आधुनिक भारतीय समाज की उस जहरीली सोच को बयां करती है, जिसमें कुंठ‍ित मर्दानगी और बलात्कार के कारण हमारी संस्कृति हर दिन तार-तार होती है।

फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर 2022 टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुआ था, जहां इसने सर्वश्रेष्ठ कनाडाई फीचर फिल्म के लिए एम्प्लीफाई वॉयस अवॉर्ड जीता था। तब से इसने 20 से अधिक पुरस्कार जीते हैं। इनमें पाम स्प्रिंग्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री फीचर और तीन कनाडाई स्क्रीन अवॉर्ड्स शामिल हैं।

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