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डांस से बीमारियां दूर भगाएं... स्टैनफोर्ड की डॉक्टर ने सेहत सुधारने का अनोखा तरीका ढूंढा

डांस को क्लिनिकल प्रैक्टिस में शामिल करने के अलावा, सूर्यदेवरा स्टैनफोर्ड के सेंटर फॉर इनोवेशन इन ग्लोबल हेल्थ (CIGH) में फैकल्टी फेलो हैं।

नफोर्ड यूनिवर्सिटी के रेडियोलॉजी विभाग में इंस्ट्रक्टर विद्यानी सूर्यदेवरा / Image- NIA

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के रेडियोलॉजी विभाग में इंस्ट्रक्टर विद्यानी सूर्यदेवरा ने डांस को क्लिनिकल प्रैक्टिस में शामिल करने का एक अनोखा तरीका ढूंढ़ निकाला है। वह स्टैनफोर्ड हेरिटेज डांस सीरीज के जरिए इस पहल को आगे बढ़ा रही हैं। 

इस पहल के तहत सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुतियों को एकेडमिक इवेंट्स में शामिल किया जाता है जिससे शोधकर्ताओं व डॉक्टरों को कला से जुड़ने का नया तरीका मिलता है। मई 2024 में स्टैनफोर्ड मेडिसिन और न्यूज प्रोग्राम के तहत इसे लॉन्च किया गया था।

भरतनाट्यम डांसर सूर्यदेवरा ने स्वास्थ्य एवं कल्याण में नृत्य के योगदान को रेखांकित करते हुए न्यू इंडिया अब्रॉड से बातचीत में बताया कि भारतीय विरासत और भरतनाट्यम की बैकग्राउंड होने के कारण मैं दुनिया भर के हेरिटेज डांस ग्रुप्स को एक मंच पर लाना चाहती थी।

उन्होंने आगे कहा कि मैं स्टैनफोर्ड के उन फैकल्टी मेंबर्स को प्रोत्साहित करना चाहती थी जो नृत्य में रुचि रखते हैं ताकि हम डांस को न सिर्फ क्लिनिकल प्रैक्टिस में शामिल कर सकें बल्कि यह भी समझ सकें कि नृत्य संगीत से मरीजों को बीमारी से निपटने में कैसे मदद मिल सकती है।

सूर्यदेवरा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी नृत्य समेत कला के के रूपों से मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य लाभ को मान्यता दी है। संगीत चिकित्सा फेफड़ों की बीमारियों, मस्तिष्क रोगों और समग्र संतुलन बनाए रखने में फायदेमंद है। स्टैनफोर्ड में भी पार्किंसंस के मरीजों को डांस थेरेपी ऑफर की जाती है।

सूर्यदेवरा ने बताया कि मई के महीने को एशियन हेरिटेज मंथ के रूप में मनाया गया था। हमने पहले भरतनाट्यम डांसर्स को आगे बढ़ाया क्योंकि मैं अपनी संस्कृति को सामने लाना चाहती थी। हमने एक चाइनीज डांस ग्रुप को भी आमंत्रित किया।

डांस को क्लिनिकल प्रैक्टिस में शामिल करने के अलावा, सूर्यदेवरा स्टैनफोर्ड के सेंटर फॉर इनोवेशन इन ग्लोबल हेल्थ (CIGH) में फैकल्टी फेलो हैं। उन्होंने ऑस्टियो आर्थराइटिस में बढ़ती उम्र के असर का पता लगाने के लिए एक नई इमेजिंग तकनीक विकसित की है। इसके NIH SenNet कंसोर्टियम के जरिए उम्र बढ़ने के बायोमार्कर पर एक्सपर्ट्स की सिफारिशों की अगुआई भी की है।

उम्र संबंधी बीमारियों की रोकथाम के लिए जीवनशैली में बदलाव की वकालत करते हुए सूर्यदेवरा कहती हैं कि हम स्वीडन के वर्ल्डवाइड फिंगर नेटवर्क के साथ सहयोग करने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी विशेषज्ञता को स्टैनफोर्ड सेंटर फॉर इनोवेशन इन ग्लोबल हेल्थ के साथ मिलाकर भारत में उम्रदराज आबादी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान देना चाहते हैं।

उन्होंने बताया कि लोग अपनी जीवनशैली में पांच पहलुओं- अच्छा भोजन, शारीरिक गतिविधि, सामाजिक संपर्क, मानसिक व्यायाम और हृदय स्वास्थ्य को शामिल करके बेहतर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। वह कहती हैं कि उनके काम का महत्व इस बात में है कि लोग न सिर्फ लंबे समय तक जिएं बल्कि स्वस्थ भी रहें।

सूर्यदेवरा ने यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस शिकागो से बायोइंजीनियरिंग और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। इसके अलावा उन्होंने चैतन्य भारती इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है।

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