(मोनिका अग्रवाल)
यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (USISPF) ने मार्क लिंस्कॉट को ट्रेड पॉलिसी का सीनियर एडवाइजर नियुक्त किया है। लिंस्कॉट दिसंबर 2016 से 2018 तक दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के सहायक व्यापार प्रतिनिधि रह चुके हैं।
लिंस्कॉट को अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ताओं खासकर अमेरिका-भारत के व्यापारिक संबंधों से जुड़े मसलों का व्यापक अनुभव है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि के रूप में लिंस्कॉट ने दक्षिण व मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार नीति को आकार देने में अहम भूमिका निभाई थी।
लिंस्कॉट ने बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और मध्य एशियाई देशों से व्यापार एवं निवेश फ्रेमवर्क समझौतों (टीआईएफए) को मजबूती देने के लिए भारत से द्विपक्षीय व्यापार नीति मंच चर्चाओं का भी नेतृत्व किया है।
इसके अलावा लिंस्कॉट विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और बहुपक्षीय मामलों में 2012 से 2016 तक सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने विश्व व्यापार संगठन में अमेरिकी व्यापार नीतियों के समन्वय पर काम किया था।
USISPF के प्रेसिडेंट व सीईओ डॉ. मुकेश अघी ने लिंस्कॉट की नियुक्ति का स्वागत करते हुए कहा कि हम अमेरिका और भारत के आर्थिक संबंधों को मजबूती देने का कार्य कर रहे हैं। इसमें मार्क लिंस्कॉट का व्यापार नीतियों के प्रति गहरी समझ, अनुभव और विशेषज्ञता काफी मददगार साबित होगी। मुझे विश्वास है कि उनके योगदान से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश को बढ़ाने में USISPF की भूमिका बढ़ेगी।
अपनी नियुक्ति पर लिंस्कॉट ने कहा कि मुझे USISPF में शामिल होने की खुशी है जो हाल के वर्षों में अमेरिका-भारत संबंधों पर अग्रणी आवाज बन चुका है। मैं भारत के साथ अपने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार के अनुभव को USISPF तक पहुंचाने के लिए तत्पर हूं।
हमारा उद्देश्य अमेरिका और भारत के बीच व्यापार संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक ले जाने का प्रयास करना है। उम्मीद है कि भविष्य में हम अमेरिका-भारत के बीच एफटीए वार्ता का सपना भी साका होते देख सकेंगे। डब्ल्यूटीओ में भी कुछ सामंजस्य बनेगा।
गौरतलब है कि अमेरिका भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार है। दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार इस समय लगभग 200 बिलियन डॉलर का है। आने वाले वर्षों में रक्षा, कृषि, अंतरिक्ष, जलवायु, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के साथ-साथ सेमीकंडक्टर और एआई आदि क्षेत्रों में व्यापारिक विस्तार से कारोबार के 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
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