वरà¥à¤œà¥€à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ साहिब की सिख फाउंडेशन ने 14 मारà¥à¤š को à¤à¤• विशेष बसंत कीरà¥à¤¤à¤¨ दरबार के साथ सिख नव वरà¥à¤· (नानकशाही वरà¥à¤· 556) की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की। इस अवसर पर à¤à¤• विशेष बसंत कीरà¥à¤¤à¤¨ दरबार का आयोजन किया गया।
दरबार का आयोजन शà¥à¤°à¥€ हरमंदिर साहिब अकादमी यूà¤à¤¸à¤ के सहयोग से किया गया था। दरबार में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हजूरी रागी à¤à¤¾à¤ˆ सरबजीत सिंह जी लाडी, à¤à¤¾à¤ˆ जसबीर सिंह जी यूके (पदà¥à¤®à¤¶à¥à¤°à¥€ à¤à¤¾à¤ˆ निरà¥à¤®à¤² सिंह खालसा के छोटे à¤à¤¾à¤ˆ) और à¤à¤¾à¤ˆ सविंदर सिंह जी के साथ उà¤à¤°à¤¤à¥‡ रागी यà¥à¤—ल à¤à¤¾à¤ˆ बखà¥à¤¶à¥€à¤¶ सिंह जी और à¤à¤¾à¤ˆ परमजीत सिंह जी तथा बीबी सिमरित कौर जी और à¤à¤¾à¤ˆ सà¥à¤–मीत सिंह जी शामिल हà¥à¤à¥¤
दरबारी जतà¥à¤¥à¥‹à¤‚ ने देर रात तक मधà¥à¤° शबद कीरà¥à¤¤à¤¨ के साथ संगत को निहाल किया। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• शबद उसके मूल राग में गाया गया जैसा कि शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥ गà¥à¤°à¤‚थ साहिब में निहित है और जिसमें अवसर के अनà¥à¤°à¥‚प बसंत राग पर जोर दिया गया है। संगत ने मूल रागों में इस गायन को गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया और à¤à¤°à¤ªà¥‚र आनंद उठाया। यहां तक ​​कि संगत ने à¤à¤¾à¤ˆ सरबजीत सिंह जी लाडी, जो à¤à¤¾à¤ˆ बहादà¥à¤° सिंह जी के साथ थे, से अतिरिकà¥à¤¤ शबद गाने का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ à¤à¥€ किया। à¤à¤¾à¤ˆ बखà¥à¤¶à¥€à¤¶ सिंह जी और à¤à¤¾à¤ˆ परमजीत सिंह जी की जोड़ी ने गà¥à¤°à¥ साहिबान के समय में उपयोग किठजाने वाले संगीत वादà¥à¤¯à¤¯à¤‚तà¥à¤° ताऊस और दिलरà¥à¤¬à¤¾ का उपयोग करके अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ माहौल बनाया।
शà¥à¤°à¥€ हरमंदिर साहिब अकादमी यूà¤à¤¸à¤ ने वरà¥à¤œà¥€à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की सिख फाउंडेशन के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– गà¥à¤°à¤‚थी à¤à¤¾à¤ˆ सतपाल सिंह जी को उनकी लंबे समय से समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ सेवाओं के लिठà¤à¤• पटà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ा देकर समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया और डॉ. पà¥à¤°à¤à¤¦à¥€à¤ª सिंह जी और à¤à¤¾à¤ˆ कà¥à¤²à¤µà¤‚त सिंह सहित गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ साहिब के पूरे जतà¥à¤¥à¥‡ को सिरोपा-शॉल के साथ समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया।
इसके अलावा बीबी अमित कौर जी को सिख पंथ में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¤“ं में उनकी सेवाओं के लिठअकादमी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया। गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ साहिब के पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन ने इस कीरà¥à¤¤à¤¨ दरबार की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ करने के लिठशà¥à¤°à¥€ हरमंदिर साहिब अकादमी यूà¤à¤¸à¤ और इस दीवान को वॉशिंगटन डीसी मेटà¥à¤°à¥‹à¤ªà¥‰à¤²à¤¿à¤Ÿà¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की संगत के लिठà¤à¤• यादगार कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बनाने के लिठसà¤à¥€ à¤à¤¾à¤— लेने वाले रागियों को धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दिया।
इसके बाद शà¥à¤°à¥€ हरमंदिर साहिब अकादमी यूà¤à¤¸à¤ के साथ बातचीत में वरà¥à¤œà¥€à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ सिख फाउंडेशन के संरकà¥à¤·à¤• और पूरà¥à¤µ अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤°à¤œà¥€à¤¤ सिंह सिदà¥à¤§à¥‚ ने बसंत कीरà¥à¤¤à¤¨ दरबार के लिठपà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ रागियों को à¤à¤• साथ लाने के लिठहर साल इस बड़े पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ के लिठà¤à¤¾à¤ˆ सविंदर सिंह जी की सराहना की। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आने वाले वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ इस परंपरा को बनाठरखने के लिठकहा गया।
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