à¤à¤¾à¤°à¤¤ के मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ घाटी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ जिन गोलाकार पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ को कà¥à¤²à¤¦à¥‡à¤µà¤¤à¤¾ मानकर पूज रहे थे, वे गोल पतà¥à¤¥à¤° करोड़ों साल पहले के डायनासोर के अंडे के रूप में निकले। यहां के लोग आसà¥à¤¥à¤¾ और विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के आधार पर अतीत के इस महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक अवशेषों की देखà¤à¤¾à¤² कर रहे थे। मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के धार में मंडलोई परिवार पीढ़ियों से 'पतà¥à¤¥à¤° के गोलों' की शकà¥à¤² वाले इन पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•ों की पूजा कर रहा था।
पाडलà¥à¤¯à¤¾ गांव के निवासी 41 वरà¥à¤·à¥€à¤¯ वेसà¥à¤¤à¤¾ मंडलोई इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ में से à¤à¤• हैं। वे अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के नकà¥à¤¶à¥‡à¤•दम पर चल रहे थे, इन गोलों को 'काकर à¤à¥ˆà¤°à¤µ' या à¤à¥‚मि के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के रूप में पूजा करते थे। वेसà¥à¤¤à¤¾ और उनके परिवार का मानना है कि पतà¥à¤¥à¤° के गोले à¤à¤• 'कà¥à¤²à¤¦à¥‡à¤µà¤¤à¤¾' थे जो उनके खेत और मवेशियों को समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं और दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से बचाते हैं। मंडलोई परिवार की तरह, धार और आसपास के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में अनà¥à¤¯ लोगों के पास à¤à¥€ इसी तरह की कहानी है।
हालांकि, शोधकरà¥à¤¤à¤¾à¤“ं की à¤à¤• टीम ने पाया कि ये गोलाकार वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ कà¥à¤› और हैं। लखनऊ के साहनी इंसà¥à¤Ÿà¥€à¤Ÿà¥à¤¯à¥‚ट ऑफ पैलियोसाइंसेज के विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ ने à¤à¤• कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के दौरे के दौरान यह पाया कि ये पतà¥à¤¥à¤° के गोले वासà¥à¤¤à¤µ में पिछले यà¥à¤— के डायनासोर के अंडे थे। à¤à¤• विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ के बाद वे इस निषà¥à¤•रà¥à¤· पर पहà¥à¤‚चे कि ये गोलाकार वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ डायनासोर की टाइटेनोसॉर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ के जीवाशà¥à¤® अंडे थे।
यह पहला à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ डायनासोर है जिसका नाम ठीक से वरà¥à¤£à¤¨ किया गया है। इस पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ को पहली बार 1877 में दरà¥à¤œ किया गया था। इसके नाम का अरà¥à¤¥ है 'टाइटैनिक छिपकली'। टाइटेनोसॉर गà¥à¤°à¤¹ पर घूमने वाले सबसे बड़े डायनासोर में से à¤à¤• थे। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, ये पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कà¥à¤°à¥‡à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤¸ काल के दौरान लगà¤à¤— 70 मिलियन वरà¥à¤· पहले इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में घूमती थीं।
इस साल की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ में मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के धार जिले में नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ घाटी में घूमने वाली टाइटैनिक छिपकली के 250 से अधिक अंडे पाठगठथे। जनवरी में दिलà¥à¤²à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ (डीयू) और à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ और अनà¥à¤¸à¤‚धान संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ (आईआईà¤à¤¸à¤ˆà¤†à¤°) के शोधकरà¥à¤¤à¤¾à¤“ं की à¤à¤• टीम दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गई सà¥à¤Ÿà¤¡à¥€ को वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• पतà¥à¤°à¤¿à¤•ा पीà¤à¤²à¤“à¤à¤¸ वन में पà¥à¤°à¤•ाशित किया गया था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 92 घोंसले के शिकार सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ का पता लगाया था जिसमें टाइटेनोसॉर से संबंधित 256 जीवाशà¥à¤® अंडे थे।
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